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...जहां लालबत्ती तो आती है,लेकिन बसे नहीं...! जैतारण(आईबीखान)।

राजस्थान की राजनीति मे पिछले 35 साल से चर्चित जैतारण विधानसभा क्षेत्र के एक गांव मे लालबत्ती की गाड़ी तो आती है,लेकिन ग्रामीणों के आवागमन साधन के लिए इस गांव मे न तो रोडवेज और न ही कोई निजी बसो का सँचालन होता है,ऐसे मे इस गांव की मौजूदा स्थिति समुद्र मे रहकर भी प्यासे रहने जैसी हो रखी है।
  जी हा अपन बात कर रहे है जैतारण विधानसभा क्षेत्र के पाटवा गांव की जो ग्रामीण विकास एवं पचायती राज मँत्री सुरेन्द्र गोयल के पैतृक गांव हैं,जहां गांव जाने के लिए वर्तमान मे आवागमन के लिए यातायात व्यवस्था का अभाव है।जैतारण शहर से दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र मे कोई 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव मे जाने के लिए ग्रामीणों को या तो स्वयं का वाहन अथवा किराया पर साधन लेकर जाना पडता है।पाटवा ग्राम पचायत मुख्यालय होने के बावजूद यहां न तो कोई रोडवेज और न ही कोई निजी बसे इस गांव के लिए चलती है।पूर्व मे कई गावों से होकर गुजरने वाली निजी बसो की सेवाएं भी अब बँद हो जाने के बाद इस गांव मे जाने के लिए किराया के वाहन के अलावा और कोई साधन नहीं है।पाटवा ग्राम पँचायत के सरपंच पद से अपने राजनैतिक जीवन के सफर की शुरुआत करने वाले श्री गोयल पाँचवी बार जैतारण का प्रतिनिधित्व राजस्थान विधानसभा मे कर रहे है,इस दरम्यान वे सरकारी उप मुख्य सचेतक,स्वायत्त शासन मँत्री एवं वर्तमान मे राज्य सरकार मे पचायती राज मँत्री है,लेकिन अपने गांव मे वे यातायात की व्यवस्था फिलहाल नहीं कर पाये है,इसके पीछे एक तर्क यह भी है कि उनका कार्य करने की शैली पूर्णतः नियमों के तहत करने की रही है,जिसके चलते शायद उन्होंने नियमों के तहत अपने गांव के लिए एकबार रोडवेज बस सेवा की शुरुआत की थी मगर लगातार घाटे मे चलने के कारण रोडवेज सेवा को बीच मे ही बँद करना पडा, आज हालत यह है कि इस गांव मे जाने के लिए या खुद के वाहन से सफर करो या किराए के वाहन लेकर जाओ।इस सम्बंध मे ग्रामीण लम्बे समय से पाटवा ग्राम मे यातायात सुविधा की माँग कर रहे है,लेकिन उनकी माँग अभी तक पूरी नहीं हो पा रही है।गांव कहते है कि गांव मे लालबत्ती की गाड़ी तो आती है,लेकिन आवागमन के लिए बसे नहीं आती...9413063300

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