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...जब मुट्ठी भर बाजरे के लिए दिल्ली की सल्तनत खो देता...!

बलिदान दिवस पर विशेष...
मुट्ठी भर बाजरे के लिए में दिल्ली की सल्तनत खो देता...।
यह वाक्य दिल्ली के बादशाह शेरशाह सुरी ने विश्व इतिहास के सबसे भीषण महासंग्राम की समाप्ति पर कहे थे। जब मारवाड़ के राजा मालदेव अपने ही लोगो पर अविश्वास कर गिरी सूमेल(जैतारण) की रणस्थली से रात के अन्धेरे मे चले गए। तब रणभूमि में शेष रूके छत्तीस कोम के रणबाँकुरो ने महावीर राव खीवकरण जी,राव जैताजी,राव कुंपाजी,राव पाँचायण जी,राव अखेराज जी के नेतृत्व मे मारवाड़ के मात्र 8600 मस्ताने योद्धाओं ने शेरशाह सुरी की अस्सी हज़ार सैना पर इतना भयंकर हमला किया की दिल्ली की सैना में हाहाकार मच गया। देखते ही देखते गिरी सूमेल के मध्य के मेदान में नरमूंड ही नरमूंड नज़र आने लगे। लहू के नाले बहने लगे। दिल्ली की सैना पिछे हटने लगी। तभी अजमेर का सूबेदार चालीस हज़ार की सैना लेकर रणभूमि मे पहुँच गया। दिल्ली की सैना के उखड़ते पाँव रूक गए। एक तरफ़ मात्र 8600 सेनिक ओर दुसरी तरफ़ 120000 सेनिक थे। फिर भी मारवाड़ के महान योद्धाओं ने दिल्ली के 35000 से ज़्यादा सैनिकों को मोत के घाट उतार दिया ओर मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
यह विश्व इतिहास का इकलौता यूध्द हे जिसमें एक दिन में चालीस हज़ार से ज़्यादा सैनिक मारे गए।यह दृश्य देख दिल्ली के सुल्तान को यह कहना पडा"खैर करो वरना मुट्ठी भर बाजरे के लिए मै अपनी दिल्ली की सल्तनत खो देता"
मारवाड़ के उन महान बलिदानी सैनिकों की शहादत को नमन करने के लिए दिनांक 5 जनवरी को सूमेल मे बलिदान दिवस मनाया जायेगा...(साभार... हरजीतसिह निमाज)-आईबीखान,जैतारण

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