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जहां दलालों के बिना लोन लेना बना टेढ़ी खीर--


जैतारण, (आई.बी.खांन):
क्षेत्र में बैंक से दलालों के बिना लोन लेना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है। जरूरतमंद गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों को मजबूरन इन दलालों के समक्ष नतमस्तक होते सहज ही देखा जा सकता है। क्षेत्र के कई बैंको की सभी शाखाओं के कपितय एजेंटनुमा दलाल सक्रिय रूप से सेवा करने के लिए ग्राहकों को बैंक से बाहर ही पूरा इंटरव्यू लेते $जर आते हैं। इन दलालों की सक्रियता के चलते बैंकों से लोन लेने वालों को काफी दिकतोतों का सामना करना पड़ रहा है। बेबसी के शिकार ग्राहकों की कोई सुनने को तैयार भी नहीं होता कोई दिखाई देता है। जिसके चलते अधिकािरयों एवं कुकुरमुतों के मानिंद पनप रहे कपितय दलालों की पौबारह हो रही है। यदि इसका प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता है तो बैंकों के अंदर-बाहर यत्र-तत्र-सर्वत्र सभ्रंत व्यक्ति का चौला पहने ये दलाल दौड़धूप करते देखे जा सकते हैं। ये दलाल अधिकारियों की अप्रत्यक्ष मिलीभगत से ग्राहकों की जेबें फाडऩे में लगे हुए हैं तथा इन पर राजनीतिज्ञों की खास छत्रछाया की शंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। यहीं हाल विभिन्न सरकारी योजनाओ से ऋण स्वीकत कराने पर खरा सटीक सत्य प्रतीत हो रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रोपर्टी मोरगेज का स्वामित्व संबंधी टाइटल बनाने की सर्वे रिपोर्ट बनाने का मुंह मांगी भेंट देना आम बात है। इतना सब कुछ कतिपय दलालां की सेवा करने पर ऋणी को कितना अनुदान के रूप में लाभ मिलता है, जिसका अंदाज लगाना सहज ही है कि अनुदान तो दान में चला जाता है। आज गरीब को गणेश मानने वाली बैंकें बिना कतिपय दलालों के ऋण तो बड़ी बात है, लेकिन कोई अन्य कार्य भी बिना सुविधा-शुल्क के सिवाय नहीं होता है।  एक सर्वे में यह तस्वीर साफ $जर आई कि इस पर यदि उच्चस्तरीय अधिकारियों एवं गोपनीय रूप से जांच कर सरकार का हस्तक्षेप अनिवार्य है, तभी जाकर इस बारहमासी प्रथा पर अंकुश लग सकेगा। यदि उक्त तरीका सही है तो गरीब वर्ग, चयनित परिवार को ऋण देने लिए बैंक क्यों ढिंढ़ोरा पीट रही है। यही हाल ग्रामसेवा सहकारी समितियों का है, जहां से सदस्य कृषि कार्य के लिए हर साल लोन लेने के लिए कपितय एजेंटों के मायाजाल में फंस अघोषित लूट का शिकार होते हैं। 9413063300




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