हाल-ए-नोटबँदी...जैतारण-आईबीखान
*"हाल-ए-नोटबँदी"*
"आम जन के साथ साथ पुलिस प्रशासन भी परेशान"
*जैतारण-आईबीखान*
पीएम नरेन्द्रमोदी की नोटबंदी की घोषणा से मचे हाहाकार पर भले ही सरकार के साथी व भाजपा समर्थक जनता का मुँह बंद करने के भरसक प्रयास कर रहे हो पर इस नोटबंदी के 44,दिन गुजरने के बाद भी जमीनी हालत बहुत ख़राब है और किसी से छुपे हुए नही है। बैंको के बाहर लाइन लगाने वाले भारत के नागरिक खुद को किसी गुलाम मुल्क या दुसरे देश से आया हुआ महसूस कर रहे है। नोटबंदी के दिन से लेकर आज तक अपना सारा काम धाम छोड़ कर देश का आम नागरिक सुबह सवेरे ही बैंक की लाइन में आकर लग जाता है। मानो वो अपने पैसे निकालने नही बल्कि किसी धार्मिक स्थल के बाहर लुट रहे लंगर की लाइन में लग कर मुफ़्त का भोजन हासिल करने आया हो। उपर से हर रोंज बदलते पीएम के फ़ैसले ने भी जनता की रात की नींद व दिन का सुकून छीन लिया है। नोटबंदी की घोषणा में जनता से मांगी गई पचास दिन की मोहलत को पूरा होने में भी चार,छें, दिन ही बचे है पर हर दिन आते नये नये बयानों से हटकर देखा जाए तो ज़मीनी हक़ीकत कुछ और ही है और नोटबंदी से हुई परेशानी बयाँ करती है जिसके चलते 50,दिन तो क्या ये समस्या अगले 5, महीनों में भी हल होती दिखाई नही दे रही है। जो लोग अपना पैसा निकालने लाइनों में लगे हुए है उनको अपनी 500,रुपयों की मजदूरी से हाथ धोना पड़ रहा है ऐसे में बैंक से मिले 2,हजार रूपये 15,सौ बनकर रह गये है। बात अगर एटीएम की करे तो देश के लगभग 70% एटीएम हाथी दांत बने हुए है जो कि कैश ना होने की वजह से बंद दिखाई देते हैं। वही दूसरी और नोटबंदी की मार पुलिस विभाग पर भी बिन मौसम की बरसात बनकर बरस रही है। पुलिस वाले अपने सारे काम धंदे छोड़ कर बैंको के बाहर लाइनों में लगी जनता को सम्भालने में लगे हुए है ऐसे में लाइन में लगे लोगों के बीच ये पुलिस कर्मी जनता की धक्का मुक्की का भी शिकार हो रहे है और चाह कर भी बल प्रयोग करने की स्थिति में नही है। क्युकि हर जगह की पुलिस को जिला कप्तानो द्वारा ख़ास निर्देश दिए गये है की बैंको के अंदर और बाहर किसी भी उपभोक्ता पर वो बल प्रयोग व अभद्र व्यवहार नही कर सकते जिस आदेश के चलते पुलिस कर्मी जनता के दुखों को बाँट रहे है। आपना समस्त कार्य छोड कर दिनरात जनता की सेवा में लगे हैं...।9413063300
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