सफाई हो तो मेरे शहर जैसी...!
जैतारण(आईबीखांन)।
जैतारण नगर पालिका प्रशासन व्दारा शहर में बदहाल पड़ी सफाई व्यवस्था को सुधारने की दिशा में अभी तक कोई उल्लेखनीय पहल नही करने के कारण शहर के विभिन्न गली-मौहलो में इन दिनो सर्वत्र गंदगी का बोलबाला है।शहर की शायद ही ऐसी कोई जगह होगी जो पाक साफ हो जिसके लिए में उनकी तारीफ कर पालिका को स्वच्छ भारत मिशन के लिए कोई अवार्ड दिलाने की अभिशंषा राज्य सरकार को लिखकर भेजू...!अपने गौरवशाली इतिहास के लिए प्रदेशभर मे चर्चित जैतारण नगरपालिका जहां के माननीय विधायक प्रदेश की सरकार मे काबिना मंत्री है,लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है की उनके शहर की सफाई व्यवस्था एक गांव से भी बदतर बनी हुई है।हालांकि उनका जिक्र मुझे इसमें नही करना चाहिए,लेकिन एक फकड़ कलमकार के रूप मे यदाकदा मुसाफिर बनकर किसी शहर मे मै जाता तो वहां के लोग यह तंज कसते है की उनका शहर इतना गंदा क्यो...?चुकि फकड़ हुए तो क्या हुआ आखिर हम भी तो इस शहर के वासी है,लाजमी है अपन को उनकी बाते बुरी लगती है। जैतारण की मौजूदा सफाई व्यवस्थाओ का आलम यह है कि यहां शहर की सड़को पर नालियो का गंदा पानी बरसाती पानी की तरह जगह जगह कलकल करता बहता है तो यहां के नाले तो जगह जगह अवरूध्द होकर उफन रहे है।अपन नयापुरा के प्राचीन नाले का इसमे जिक्र नही करेगें,क्योकि उस बस्ती के लोगो के भाग्य को यह फकड़ कलमकार बदल नही सकता,लेकिन शहर मे इससे भी बहुतरे ऐसे नाले है जिनकी इबारत जितनी लिखू उतनी कम है।मेरी बाते पढने वाले हर जिम्मेदार को बुरी लग रही होगी,और अच्छी भी लगे तो भी इस फकड़ कलमकार को कुछ मिलने वाला नही है।यहां तो अच्छा लिखे या बुरा उससे कोई फर्क पड़ने वाला नही है।उन्होने तो अपन को आदतन आलोचनावादी होने की उपाधि से नवाज रखा है।शहर का मुख्य बाजार हो या मुख्य चौराहा अथवा सरकारी दफ्तर यहां हर इलाके में गंदगी पाव पसार रही है।ऐसा भी नही की यहां साफ सफाई करने वाले नही है,वे है लेकिन शहर की बढती आबादी के अनुपात मे नही...! वे सफाई करने जाते भी है,लेकिन पालिका के चुनिन्दा जनप्रतिनिधियो के आवासो के इर्द गिर्द ताकि उनको लगे की शहर मे सफाई व्यवस्था बेहतर है..।ऐसे सोचने वालो से भी आग्रह है कि वे अपने घरो से आगे निकलकर यह भी देखले की वहां बिन बरसात सड़को पर पानी क्यो बह रहा है...!9413063300
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