अवैध निर्माण को लेकर आखिर बेबस क्यो है जिम्मेदार...!
जैतारण/रायपुर:(आईबीखांन)।
रायपुर कस्बे के फोरलेन हाईवे से सटे पुराना बस स्टेण्ड पर एसडीएम द्वारा तीन बार रुकवाया गए एक निर्माण कार्य को आनन फानन मे पुरा कर वहां शोरूम खोल देने का मामला इन दिनो अपने पडौसी कस्बे रायपुर मे खास चर्चा का विषय बनने लगा है। चर्चा की भी वजह भी यह है कि एसडीएम के आदेश को ठेंगा दिखा कर निर्माण पूरा करने वाला कोई और नही बल्कि एक सरकारी कर्मचारी ही है।उल्लेखनीय है की रायपुर मारवाड़ के मौजूदा एसडीएम मोहनलाल खटनावलिया की छवि पाली जिलेभर मे तेजतर्रार व निष्पक्ष अधिकारी के रूप में है,और इनकी इसी छवि से यह अनाडीकलमकार भी कायल है। लेकिन इस मामले में वे बेबस क्यों नजर आ रहे है,इसको लेकर चर्चाओ का होना लाजमी है।हालांकि यह अनाडीकलमकार आज दिन तक उनसे कभी व्यक्तिगत रूप से मुखातिब तो नहीं हुआ और न ही कभी ऐसा अवसर आया, लेकिन मे उनके व्दारा मगरे क्षेत्र मे चलाये जाने वाले सामाजिक सरोकार एवं शिक्षा के क्षेत्र मे उनके उल्लेखनीय कार्यों से प्रभावित हूं। रायपुर के अपने खबर नवीशो की माने तो तहसीलदार का पद रिक्त होने से इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नही हो पा रही है,और इस मामले मे प्रशासनिक तंत्र का भी यही जबाब है,लेकिन यह बात इस अनाडीकलमकार को हजम नहीं हो रही है।हजम इसलिए नहीं हो रही है की तहसीलदार का अतिरिक्त प्रभार देख रहे सेंदड़ा उप तहसील के नायब तहसीलदार रजिस्टिया तो धड़ले से कर रहे है...! लेकिन वे इस मामले मे कार्रवाई को करने में न जाने क्यो पीछे हट रहे है,यह बात अपन के समझ से परे है।आप रजिस्ट्री इत्यादि प्रशासनिक कार्य तो कर रहे हो,मगर इस पर कार्यवाही न करना प्रश्न चिन्ह खडा कर रहा है।हाईवे पर जो शौरूम तामीर हो रहा है या किया गया है,उस पर अबतलक कोई कार्यवाही नही करना प्रशासन की इस बेबसी के पीछे कई आरोप लग रहे है। इन हालातो का फायदा उठाते हुए हाइवे पर कुछ नए अवैध निर्माण भी शुरू हो गए है।सनद रहे की इसी निर्माण के बगल में कुछ माह पहले इन्हें एसडीएम रायपुर ने करीब एक दर्जन मकानो व दुकानों को फोरलेन से सटा हुआ मान स्वयं मौके पर खड़े रहकर उन्हें ध्वस्त कराया था। जब उस दिन सख्ती दिखाई थी,लेकिन वे अब भी इस मामले मे कुछ कर नहीं पा रहे है। कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब पडौसी कस्बे की जनता तलाश रही है। चलते अपन तो यही कहेंगे, क्या एक तहसीलदार के न होने से प्रशासनिक शक्तियां क्षीण हो जाती है।यदि नहीं तो फिर कार्यवाही मे इतना विलंब क्यों...!
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