अब युवाओं के कंधों पर है सफलता की जिम्मेदारी...!
आईबीखान जैतारण की कलम से
राजस्थान तेली तिरेपन गौत्र आम चौरासी संस्था चण्डावल के जरे सरपस्ती मे 13 मई को आयोजित होने वाले समाज के सातवें सामुहिक विवाह सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए अब दो दिन ही शेष रहे है,ऐसे मे इस आयोजन को सफल बनाने की जिम्मेदारी यू तो समाज के हर व्यक्ति की है और होनी भी चाहिए, लेकिन अपने बुजुर्गो के कंधों पर यह बोझ हम युवा होकर नहीं डाल सकते, समाज के प्रमुख पंच एवं बुजुर्ग हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत है।हालांकि मे भी समाज का एक छोटा एवं साधारण कार्यकर्ता होने के साथ ही युवा भी हूं तो लाजमी है की मुझे आयोजन समिति ने जो भी जिम्मेदारी दी उसे निष्ठा के साथ निभाने का प्रयास करू...!
एक पत्रकार होने के नाते अबतलक मैने कई बडे बडे आयोजनो को सफल भी होते देखे है,मेरा समाज के जागरूक युवाओं से यह संदेश है की युवा शक्ति और युवा कंधे किसी भी समाज की अमूल्य धरोहर और बहुमूल्य सम्पदा होती हैं। और इस बात को युवाओ ने हर युग और अतीत में साबित भी किया हैं। युवाओ में अंसभव के पार देखने की अद्भुत क्षमता होती हैं और यही जोश और अंसभव को संभव करने के बल के कारण हर समाज सदैव युवा शक्ति से एक विशेष टकटकी लगाये रहता हैं।
धार्मिक सद्भाव, सहयोग पर्व, उत्सव , कला और साहित्य संस्कृति के अंग है । इनका आदान प्रदान संस्कृति एकता को जन्म देता है । संगठन की अखण्डता एक समाज का जीवन और समृद्धि के लिए अनिवार्य है। जो समाज अपने पैरों पर खड़ा होना जानता है वह कभी परास्त नहीं हो सकता । जो समाज दूसरों पर निर्भर रहता है वह लोगों पर भार अपने आप ही बन जाता है।हालांकि आयोजन समिति ने इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए अपने समाज के हर युवा को बकायदा जिम्मेदारी दी है,तदापि मानवीय भूल के कारण किसी का नाम न भी आया हो तो वे यह नहीं समझे की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है,अव्वल तो यह है की हमें नाम के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए काम करके यह साबित करना है की हम भी किसी से कम नहीं है।नाम के लिए तो कोई भी दौड सकता है,लेकिन बिना नाम के दौडने का मजा ही कुछ अलग है।हालांकि मुझे अपने समाज के युवाओं पर गर्व है की वे हर समय समाज हित मे अग्रणी रहते है...ऐसे युवाओं को मे व्यक्तिगत भी जानता हू और समाज भी इससे बेखबर नहीं है,इसका मिशाल अपने समाज के युवाओं ने 26 अप्रैल को कार्यों को अंजाम देकर साबित भी किया है।लेकिन अब हमारे लिए 13 मई का दिन अग्नि परीक्षा का है,लिहाजा हमें उस दिन दुगुने जोश के साथ व्यवस्था संभालकर यह साबित करना है की युवा किसी से कम नहीं है।हालांकि समाज के बुजुर्ग एवं समानीय पंचो की अपन बराबरी नहीं कर सकते और कदाचित ऐसा करना भी नहीं चाहिए, क्योंकि वे हमारे आदरणीय है और रहेंगे।हा यह जरूर है की आने वाले समय मे यह भी भार अपने कंधो पर ही आने वाला है।लिखना तो बहुत कुछ चाहता था और मुझे लिखने का अभ्यास भी है,लेकिन ज्यादा लिखना भी मेरे लिए घातक साबित हो सकता है यह मे अच्छी तरह समझता हूं...चलते चलते मे तो यही कुहूगा की आईए हम मिलकर इस महाआयोजन को सफल बनाने का आज से ही संकल्प ले... *फकत सलाम*
9413063300
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