आज यदि इन्दिरा गाँधी प्रधानमंत्री होती तो...
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकी हमले के बाद इस बाद देश शहीदों की शहादत का बदला चाहती है। सेना भी मोदी सरकार के एक इशारे का इंतजार कर रही है। देशभर में एक ही आवाज उठ रही है मोदी जी! इस बार बयान नहीं बदला चाहिए। वहीं हमले को लेकर केंद्र सरकार में बैठकों का दौर जारी है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार पाकिस्तान को जवाब देने की रणनीति बना रही है। पाकिस्तान को कड़ा जवाब देना भी जरूर है क्योंकि बीते ढाई साल में मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया जिस वजह से पड़ोसी देश इसका गलत फायदा उठा रहा है। वहीं अगर आज इंदिरा गांधी जैसा प्रधानमंत्री होता तो शायद हालात कुछ और ही होते। इंदिरा कड़े मिजाज की थीं और ऐसे हालातों में वो सख्त फैसले लेने के लिए भी चूकती नहीं थीं। इंदिरा गांधी रणनीति बनाने में माहिर थीं और साहसी लीडर थीं। उन्होंने ऐसे हालातों से निपटने के लिए सेना को खुली छूट दे रखी थी। इतना ही नहीं उनके शासनकाल में आर्म्ड फोर्सेज के लिए लक्ष्य तय होते थे। सामान्य दिनों में वे कोई फैसला लेने में हिचकिचाती थीं लेकिन संकट का समय आते ही कहां और कब वार करना है, उन्हें बखूबी पता होता था। -स्ट्रेटजिक, ऑपरेशनल और टैक्टिकल लेवल पर प्लानिंग होती थी। -सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर समन्वय होता था। -गंभीर संकट के दौर में बिना अंतर्राष्ट्रीय मदद के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की सोच इंदिरा में जन्मजात थी। ऐसे फैसले ले चुकी हैं इंदिरा बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पहला कार्यकाल 1966 से 1971 तक रहा। इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग पूरी दुनिया ने देखी। ऐसे में अगर आज इंदिरा गांधी जैसा पीएम होता तो शायद पाकिस्तान से जंग शुरू हो गई होती। इतिहास इसका गवाह भी है। 30 जनवरी, 1971 को आतंकवादी इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को हाइजैक कर लाहौर ले गए और इसे तहस-नहस कर दिया था। उस वक्त इंदिरा गांधी ने भारत से होकर आने-जाने वाली पाकिस्तान की सभी फ्लाइट्स तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का हुक्म दिया। इसका यह फायदा हुआ कि अक्तूबर-नवंबर में जब संकट चरम पर था तो पाकिस्तान अपनी सेनाएं पूर्वी बंगाल में जुटाने में नाकाम रहा। जंग के लिए इंदिरा ने मानी थी आर्मी चीफ की शर्तें अप्रैल 1971 में इंदिरा गांधी ने तत्तकालीन आर्मी चीफ सैम मानेकशॉ से पूछा कि क्या वे पाकिस्तान से जंग के लिए तैयार हैं? इसपर मानेकशॉ ने कुछ दिक्कतों का हवाला देते हुए जंग के लिए तैयारी से मना कर दिया, इतना ही नहीं उन्होंने इस्तीफे तक की पेशकश कर दी थी लेकिन इंदिरा ने उनका इस्तीफा कबूल करने से मना कर दिया। इसके बाद मानेकशॉ ने कहा था कि वे जंग में जीत की गारंटी दे सकते हैं, अगर पीएम उन्हें अपनी शर्तों पर तैयारी की इजाजत देती हैं। इसके बाद एक तारीख तय की जाती है। इंदिरा ने उनकी शर्तें मान लीं थी। हकीकत में इंदिरा उस वक्त की परेशानियों से वाकिफ थीं लेकिन वो सेना के विचारों से अपनी कैबिनेट और पब्लिक ओपिनियन को वाकिफ कराना चाहती थीं। PAK के परमाणु ठिकानों पर करना चाहती थीं हमला! इंदिरा गांधी ने 1980 में सत्ता में वापसी करने के बाद पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हमले का प्लान बनाया था अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने करीब सालभर पहले यह खुलासा किया था। इंदिरा गांधी पाकिस्तान को परमाणु हथियार क्षमता हासिल करने से रोकना चाहती थीं। यह घटना 1981 की है। इंदिरा गांधी की अगुआई वाली भारत सरकार पाकिस्तान के परमाणु हथियार जुटाने के प्लान को लेकर फिक्रमंद थी। वहीं आज उरी हमले को 72 घंटे बीत जाने के बाद भी भारत ने कुछ कड़े कदम नहीं उठाए हैं जबकि पाकिस्तान के पीएम नवाज नेबड़ा बयान दे दिया और आतंकी बुरहान को हीरो बताते हुए भारत को परमाणु हमले की धौंस दिखाई है। कई लोग कह रहे हैं कि अगर आज इंदिरा गांधी होतीं तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देतीं।-साभार... पजाबकेसरी
इनदराजी निड़र थी, पर मोदी के मुकाबले ज्यादा नही है, मोदी जी, समय समय पर अमिया को रमा देगे
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