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आखिर यह कैसे हो गई चूक...!

(आईबीखान की कलम से)
राज्य सरकार की ओर से जैतारण नगर पालिका मे मनोनीत किये गये चार सहवृत पार्षदो मे से मात्र दो सदस्यों के शपथ लेने का मामला इन दिनों शहर मे खासा चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
दरअसल जैतारण नगर पालिका के लिए जिन चार भाजपा कार्यकर्ताओं का राज्य सरकार ने जलदाय मँत्री एवं जैतारण विधायक सुरेन्द्र गोयल की अभिशँषा पर इनको सहवृत सदस्य के रूप मे राज्य सरकार ने मनोयन कर इसके आदेश जैतारण नगर पालिका को भेजा गया,मगर राज्य सरकार के निकाय नियमों के तहत इनके शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास होना जरूरी करने के कारण सरकार व्दारा मनोनीत चार सदस्यों मे से मात्र दो सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता नियम अनुसार पाई गई, लिहाजा दो सदस्यों को इस कारण शपथ लेने से वँचित रहना पडा, यह दिगर बात है कि सरकार के मौजूदा नुमाइदो को अपने कार्यकर्ताओं का चयन अपनी इच्छानुसार करने का अधिकार है,लेकिन बडा सवाल यह है कि जब राज्य सरकार ने शैक्षणिक योग्यता के नियम तय कर रखे है तो फिर इन दो सदस्यों के नामों का चयन करते समय इनकी शैक्षणिक योग्यता की बिना जाँच किये ही इनके नामों की अभिशँषा कैसे हो गई।यहां यह उल्लेखनीय है की जैतारण विधायक एवं राज्य सरकार के मौजूदा जलदाय मँत्री सुरेन्द्र गोयल की कार्य करने की शैली शुरू से ही लाजबाब रही है,वे कोई भी कार्य सत्यता की कसोटी पर खरा उतरने पर ही करते है, उनकी इस कार्यशैली का मे भी कायल हू,लेकिन सहवृद सदस्यों के मनोयन मे ऐसा शायद नहीं हुआ...? जबकि सम्पन्न नगरपालिका के चुनाव मे तो श्री गोयल ने टिकट चयन के साथ ही प्रत्येक उम्मीदवार से अपनी दसवीं पास की शैक्षणिक योग्यता के बकायदा दस्तावेज देखकर ही टिकट दिये गये थे,तो फिर इनमें ऐसा क्यों नहीं देखा गया।  इसमें कोई दो राय नहीं की जैतारण मे दो सहवृद सदस्यों के शैक्षणिक योग्यता के तहत खरा नहीं उतरने के कारण उनको शपथ नहीं दिलाई गई, लेकिन उनके शपथ न ले पाने के कारण जो जगहसाई एवं किरकिरी हुई है,उससे तो यही लगता है की भविष्य मे इन दो सदस्यों की जगह कोई दो अन्य नामों का चयन होगा, लेकिन इससे पहले जो चयन किये गये, उनके नामों के चयन मे आखिर यह कैसे चूक हुई इसका भी एकबार चयनकर्ताओ को विशलेक्षण जरूर करना चाहिए, यह चूक मामूली चूक नहीं समझनी चाहिए...9413063300

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