पहले मिर्ची,अब तिरपाल बनाने के लिए प्रसिध्द हो गया बाझाकुडी गांव...
(-आईबीखान की कलम से)।
एक जमाने मे अपनी मिर्चो के तीखे तेवरो के कारण मारवाड मे वर्षो तक प्रसिध्द रहने वाला जैतारण का बाझाकुडी गांव अब मिर्ची के लिए कम बल्कि बारमासी तिरपाल के लिए समूचे मारवाड मे अपनी अमिट पहचान बना रहा है।यह दिगर बात है कि आसपास के गांवो के कृर्षि कुओ के गिरते जलस्तर एवं मिर्ची की कम पैदावार के कारण यहां के कारण स्थानीय लोगो ने मिर्ची की खरीद फरोख्त बंद कर दी,बावजूद आज भी मारवाड मे बाझाकुडी की मिर्चे इसके नाम से ही बिकती है,लेकिन पिछले कुछ वर्षो से बाझाकुडी गांव के लोगो ने मिर्ची का व्यवसाय बंद करने के बाद बारमासी तिरपाल बेचने का जो व्यवसाय मेडतारोड से लाकर शुरू किये गये इस व्यवसाय की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब मेडतारोड मे भी बाझाकुडी गांव के तिरपाल के नाम से ही इन तिरपालो की लोग खरीद कर रहे है।
तिरपाल बेचने एवं खरीदने का व्यवसाय करने वाले जगदीश चौहान बाझाकुडी ने बताया की असल मे तिरपाल का कच्चामाल पहले मेडतारोड से लाया जाता था,लेकिन कुछ सालो से यहां के लोग कटृटे के रूप मे इनको गुजरात के कलोल,हलोल,गाँधीधाम,नाथव्दारा इत्यादि जगहो से खरीदकर लाते है जहां इनकी साफ सफाई स्थानीय श्रमिको के व्दारा करवाकर इनका आकार बढाया जाता है।वे बताते है कि इस कार्य मे स्थानीय लोगो के साथ साथ आसपास के गांवो के सैकडो श्रमिको को स्थाही रोजगार मिल गया है।बाझाकुडी मे तैयार होने वाले इन तिरपालो को खरीदने के लिए पहले तो आसपास के किसान ही आते थे मगर तिरपालो की गुणवत्ता एवं स्थानीय श्रमिको की तिरपाल तैयार करने की बेजोड कारीगरी से अब बाझाकुडी के यह तिरपाल मारवाड के किसानो की पहली पसंद बन गये है।यहां के तिरपाल राज्यभर के अलावा अब अन्य प्रदेशो मे भी पहुचने लगा है।बाझाकुडी गांव के मुख्य बस स्टेण्ड के इर्द गिर्द आधा दर्जन दुकानो पर यहां तिरपाल बेचने के लिए उपलब्ध है। 1500 से लेकर 2000 हजार रूपये तक के मूल्यो के बेजोड तिरपाल उपलब्ध है।बाझाकुडी ग्राम के युवा छात्रनेता ओमप्रकाश बाझाकुडी ने बताया की स्थानीय लोगो को इस व्यवसाय मे सरकार व्दारा अभी तक इस व्यवसाय को बढावा देने के लिए किसी प्रकार की सहायता नही मिल रही है।श्री गुर्जर के अनुसार राज्य सरकार यदि बाझाकुडी गांव मे तैयार होने वाले तिरपालो पर स्थानीय लोगो के लिए ऋण उपलब्ध करवाने के साथ इस व्यवसाय को हस्तकलां उधोग के रूप मे मान्यता दे तो बाझाकुडी गांव तिरपाल बनाने के लिए प्रदेश का बडा हब बन सकता है...9413063300
Post a Comment