खताएं कोई और करे,और सजाएं कोई और भुगते...!
आईबीखांन की कलम से
इस समय मे रात के ठीक 12 बज रहे है और मे जैतारण रोडवेज बस स्टेण्ड के मुखव्दार के पास जमा दलदलीय किचड मे बामुश्किल अपने पैरो पर खडा होकर वो मंजर देख रहा है,जिसे अब तलक मैंने ऐसा मंजर नहीं देखा।दरअसल बस स्टेण्ड के पास एक गहरे गड्ढे मे दो तीन लोग पसीने मे तरबतर होकर इस किचड एवं दलदलीय मे कार्य कर रहे है।यह नजारा देख मेरी इनके बारे मे पता लगाने की जिज्ञासा और बढ गई।पता करने पर मौके पर काम करने वालो ने बताया की असल मे वे टेलीफोन की लाईने जोड रहे है।मुझे यह सुनते ही पता चल गया की असल मे यह लोगों दूसरों की खताओ की सजा भुगतने को विवश है।असल मे जैतारण नगरपालिका के सीवरेज ठेकेदारों ने लापरवाही पूर्वक सीवरेज की लाईन खोदते समय आठ दिन पहले दूरसंचार की टेलीफोन लाईनो को काटकर उन्हें आठ दिन पहले ही जमीदोज कर दिया गया था,जहां इन लाईनो के कटने से शहर की आधी आबादी के फोन मृत हो गए थे,जिनको दुरस्त करने के लिए दूरसंचार कर्मचारी पिछले सात दिनों से इस ठेकेदार के आगे पीछे घुम रहे थे।मैने देखा की असल मे दूरसंचार की तो तनिक भी गलती नहीं थी,बावजूद वे लोग अपने उपभोक्ताओं को बेहतर संचार सेवा उपलब्ध करवाने के लिए इस किचड मे बैठकर विषयपरिस्थियो मे काम कर रहे है।पूछने पर पता चला की सीवरेज के ठेकेदार के लोगों ने इन लाईनो को छिन भिन्न करके रख दिया है।इन कर्मियों की हालत को करीब से देखने के लिए खांन मीडिया को भी इस किचडनुमा गड्ढे मे उतरना पडा जहां शहरभर के गंदे पानी के दलदल मे अपन दो मिनट भी वहां नहीं ठहर पाये।मौके पर एक और दुगंध तो दूसरी और मच्छरो की भरमार और उपर से किचड का पानी अलग गिर रहा था।मैने इन कर्मचारियों से यह सवाल किया की सीवरेज का कोई कर्मचारियों मौके पर है क्या, तो जबाब मिला साहब कर्मचारी की तो छोडीए इस ठेकेदार ने तो हमारी हालत ही खस्ता करके रख दी है।उनका कहना था की ठेकेदार के किये गुनाहों की सजा हम भुगत रहे है।मैने सवाल किया, क्या ठेकेदार आपको इसके बदले मे कुछ देगा.. मेरा यह सवाल करते ही वे आवेश मे आकर बोले, हमने ठेकेदार से कार्य उपयोग मे आने वाली सामग्री जैसे कपडा,केरोसिन, साबुन की मांग की लेकिन यह वस्तुएं दिलाना तो दूर मौके पर साय तक खडे अपने लोगों को ही ले गया।दूरसंचार कर्मचारियों की यह दर्दभरी दास्तान सुनकर एकबार अपन भी पानी पानी हो गए।बाद मे मेरे जहन मे एक सवाल खडा हो गया।आखिर गलती ठेकेदार ने की मगर रात के अंधेरे मे यह लोग क्यों सजा भुगत रहे है।आखिर ठेकेदार की भी तो कोई जिम्मेदारी बनती होगी।लेकिन बाद मे ख्याल आया की सीवरेज के ठेकेदार की हर खताओ को अपनी नगरपालिका के हुक्मरान यू भी अनदेखी करते है।अनदेखी इसलिए की ठेकेदार ने यहां रस्मो रिवाजों का दस्तूर अदा करते है।चलते चलते अपन तो यह कहेंगे की इस सीवरेज के ठेकेदार के रस्मो रिवायत के आगे अपन के अलावा तीन तिकड़ी नतमस्तक है...!मेरी बात शहरी निकाय के हुक्मरानों को भले ही बुरी लग रही होगी, लेकिन जो कटू सत्य है उसे नकार नहीं सकते।आखिर शहरी निकाय के हुक्मरान सीवरेज के ठेकेदार की हर गलती को यू माफ क्यों कर रहे है,यह सोचनीय विषय है।सीवरेज के ठेकेदार गलती पर गलती करता रहे और हुकमरान उसकी हर खताओ को माफ करता रहे...आखिर दाल मे जरूर कुछ काला है।लोग तो अब यहां तक कहने लगे है की यहां तो पूरी दाल ही काली है,और यह आभास अपने ने निकाय की बैठक मे देख भी चुके है।मगर अपन तो यही कहेंगे की खता कोई और करे मगर सजा कोई और भुगते रह कैसा न्याय है...9413063300
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