एकल नहीं सामुहिक विवाह को समाज मे बढवा मिले...!
-आईबीखांन जैतारण की कलम से
राजस्थान तेली तिरेपन गौत्र आम चौरासी संस्था चण्डावल की जरे सरपरस्ती मे आगामी 13 मई को आयोजित होने वाले सामुहिक विवाह सम्मेलन के लिए जोडो का पंजीयन करवाने की आयोजन समिति व्दारा 31 मार्च की तिथि घोषित करने के साथ साथ इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजन समिति व्दारा व्यापक तैयारियां शुरू कर दी गई है,बावजूद इसके समाज मे एकल विवाह के आयोजन किये जा रहे है।हालांकि आयोजन समिति एकल विवाह करने वालों समाज के लोगों पर सामुहिक विवाह मे अपने बालिग बच्चों का विवाह इसमें करने के लिए न तो दबाव दे रही है और न ही उनको इसके लिए बाध्य किया जा रहा है,और कर भी नहीं सकती।लेकिन बेहतर यही है की एकल विवाह करने वालों को सामुहिक विवाह सम्मेलन मे अपना पंजीयन करवाना चाहिए।पिछले दिनों मेरे व्दारा लिखे गये अपने समाज के सामुहिक विवाह सम्मेलन के दो आलेखो को पढकर मेरे एक मित्र जो प्रशासनिक अधिकारी है ने समाज के इस आयोजन पर अपनी खुशी प्रकट करते हुए उन्होंने न केवल इसके सफल आयोजन की शुभकामनाएं दी,अलबत्ता उन्होंने यही भी बताया की स्वयं उनका विवाह भी उनके समाज व्दारा आयोजित सामुहिक विवाह सम्मेलन मे ही हुआ था, उनका तर्क यह था की सामुहिक विवाह मे आमतौर पर यह सोचा और समझा जाता है की गरीब एवं जरूरमंद लोगों के आर्थिक उत्थान के लिए ही किया जाता है,लेकिन ऐसा सोचना गलत है।उन्होंने यह भी तर्क दिया की कोई भी धनाढ्य परिवार यदि ऐसे आयोजन मे अपने बच्चों की शादीया करने के लिए शर्म महसूस करता है तो वे लोग अपने बच्चों की शादीया का पंजीकरण करवाने के साथ साथ ऐसे आयोजन के लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता भी आयोजन समिति मे जमा करवा सकता है।राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप मे कार्यरत मेरे मित्र ने यह भी बताया की बडे लोगों के ऐसे आयोजन मे भाग लेने से हर समाज मे व्यापक प्रभाव पडता है।उन्होंने यह भी बताया की हजारों लोगों की उपस्थिति मे जब कोई जोडा परिणय सूत्र मे बंधते है तो वो लम्हा बेहद सुखद होता है...!बहरहाल मेरे लिखने का मतलब यही है की जब इतने बडे अधिकारी ऐसे आयोजन को बढावा देने और सफल आयोजन की अग्रिम शुभकामनाएं दे रहे है तो फिर समाज के उन लोगों को यह सोचना चाहिए की एकल विवाह की बजाय हम मिलकर सामुहिक विवाह मे भाग ले...! मैने किसी व्यक्ति विशेष अथवा एकल विवाह करने वालों के लिए नहीं लिखा, बल्कि समाज मे सामुहिक विवाह सम्मेलन के प्रति जागृति लाने के यह आलेख लिखा है।समाज के तमाम व्यक्तियों को शादी-विवाह करने के अधिकार है।मेरी मंशा यह भी नहीं की मे इस आलेख के माध्यम से उन पर दबाव बनाउ की वो एकल विवाह नहीं बल्कि सामुहिक विवाह मे भाग ले।मेरी बात हो सकती है किसी को बुरी लगी हो तो समाज का छोटा बच्चा समझकर माफ करना...।
फकत सलाम
9413063300
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