मेहमान नहीं, हमें मेजबान बनना है...!
-आईबीखान जैतारण की कलम से
राजस्थान तेली तिरेपन गौत्र आम चौरासी समाज संस्था चण्डावल की जरे सरपरस्ती मे आगामी 13 मई को आयोजित होने वाले समाज के सातवें सामुहिक विवाह सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति व्दारा व्यापक तैयारियां की जा रही है,समाज के इस बडे आयोजन के लिए आयोजन समिति व्दारा पिछले डेढ दो माह से जो मेहनत की जा रही है निस्संदेह इसके सार्थक परिणाम हमें इसबार देखने को मिलेंगे।मुझे इसबात की खुशी है कि आयोजन समिति ने जिन जिन सदस्यों को जो जिम्मेदारी नियम की वे लोग पूर्ण जिम्मेदारी के साथ अपने कार्यों को बेखूबी के साथ अंजाम दे रहे है।जिम्मेदारी का कार्य आप और हमने 26 मई को सावा लिखवाई के दिन बेहद ही करीब से देखा भी है,हालांकि मे अपने समाज के उन उर्जावान सदस्यों का नाम भी इसमें लिखू और उनकी तारीफ करू तो भी कम है।वैसे उर्जावान टीम अपने नाम के लिए नहीं बल्कि अपने समाज के लिए काम करने मे विश्वास रखती है,ऐसा मेरा मानना है।पिछले एक सप्ताह से मारवाड़ मे प्रचण्ड गर्मी एवं लू का प्रकोप चल रहा है,लेकिन मैने समाज के कुछ सदस्यों को भरी दोपहरी मे आयोजन स्थल की साफ सफाई एवं शामियाने लगाने के कार्य करते देख मे उन लोगों के समाज के प्रति समर्पण एवं उनके जज्बे को दिल से सलाम करता हूं और करना भी लाजमी है।अबतलक की व्यवस्था को देखते हुए एक कलमकार होने के नाते मेरे जहन मे कुछ सवाल उठ रहे है।सवाल यह है कि क्या समाज का प्रत्येक सदस्य इस आयोजन के मेहमान बनेंगे या मेजबान...!क्योंकि अबतलक हुए सम्मेलनों के अतित को देखा जाय तो हमें वर्तमान की व्यवस्थाओं पर सोचने को विवश होना पड रहा है।मसलन प्रायः देखने मे आता है कि हरबार आयोजन समितियों व्दारा समाज के लोगों को उनके समकक्ष जिम्मेदारी नियत की जाती है,मगर मे अपने शब्दों मे इसे दुर्भाग्य ही कहूंगा की अपन आयोजन के दिन चंद लोगों को छोड़कर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड लेते है।हो सकता है की मेरी यह बात किसी को कडवी भी लग रही होगी, लेकिन सत्य तो सत्य होता है।आयोजन समिति हरबार प्रत्येक गांव, शहर, कस्बे इत्यादि से समाज के लोगों के नाम विभिन्न समितियों की सूची का एक पेम्पलेट जारी करती है और इसबार भी होगा, मगर यह खेदजनक बात है की हम सूची मे नाम नहीं आने पर आयोजन समिति को जमकर खरी खोटी सुनाने मे तनिक भी देर नहीं करते, मगर सोचने वाली बात यह है कि क्या हम अपनी जिम्मेदारी को आयोजन के दिन निभाते है या नहीं यह बात अपने दिल पर हाथ रखकर स्वयं से ही पूछ सकते है।समाज का एक छोटा कार्यकर्ता होने के नाते मे समाज के लोगों को न तो निर्देश दे सकता हू और न ही किसी पर कार्य करवाने के लिए बाध्य करने की जहमत कर सकता हू और यह मेरे अधिकार क्षेत्र मे भी नहीं है...लेकिन चलते चलते समाज का एक छोटा सदस्य होने के नाते अपने समाज के लोगों से यह आग्रह जरूर कर सकता हू की अबतलक की व्यवस्था मे किसी प्रकार की खामी नहीं है,कमावेश ऐसी व्यवस्था 13 मई तक कायम रहे इसके लिए हमें मेहमान नहीं बल्कि मेजबान बनना होगा... समाज के मेहमान केवल और केवल वे 80 जोडे है जिनकी निकाह होगी और वे हमसफर बनेगे, वे ही समाज के मुख्य मेहमान है,अलबत्ता हम सब मेजबान ही होगे,यदि हमने मेहमान बनने का प्रयास अथवा दिखावा किया तो यह अच्छी बात नहीं मानी जाएगी...!इस सम्मेलन मे अपने समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी बडी संख्या मे शिरकत करने आएंगे, अतः इस बात का ध्यान रखा जावे की अन्य समाज के लोग अपने आयोजन की सफलता की प्रशंसा करे तब यह समझ लेना की हमारी मेहनत वाकई मे रंग लाई...लिखने की बाते और भी बहुतरी है,लेकिन फिलहाल इतना समय नहीं है..आओ मिलकर इस आयोजन को सफल बनाने का संकल्प ले...आयोजन समिति मे अपना अमूल्य योगदान देने वालो को एकबार फिर दिल से सलाम...9413063300
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