नम्रता मानव को महामानव बनाती है:सुकनमुनि महाराज
पावनधाम मे जैन संतो के प्रवचन
जैतारण,27 सितंबर(आईबीखांन)।
जैतारण मरूधरकेसरी पावनधाम मे चातुर्मास कर रहे जैन संत प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने बुधवार को मरूधरकेसरी सभागार मे अपने प्रवचनों मे कहा कि नम्रता मानव को हमेशा महामानव बनाती है।श्रमणसंस्कृति का मूलमंत्र विनय है।उन्होंने कहा कि विनय के अभाव मे ज्ञान,धर्म, जपतप आदि व्यर्थ है।उन्होंने कहा की विनय सीखने के लिए धन सम्पत्ति या सम्प्रभुता की आवश्यकता नहीं होती है।विनय तो मानसिक पवित्रता अहंकार के निर्मूलता पर आधारित है।
उपप्रवर्तक अमृतमुनि महाराज ने कहा कि संसार चक्र मे गुरू के समान हितैषी कोई अन्य नहीं है।अज्ञान-अंधकार को दूर करके ज्ञान सूर्य को उदित करने वाले गुरु के सम्मान श्रेष्ठ कोई दूसरा नहीं हो सकता।उन्होंने कहा की गुरू की गुरूता,गुरु के गौरवमय ज्ञान की अनन्तानन्त रश्मियों से उदभासित होती है।युवा महेशमुनि ने कहा कि आज हिंसा की कराल कालाग्नि से संत्रस्त मानवता कराह रही है।जहां देखो,जिधर देखो हिंसा का ताण्डव सा दिखाई पड़ रहा है।उन्होंने कहा की व्यक्ति को हिंसा का मार्ग त्यागकर अहिंसा की राह पर चलना चाहिए।इस अवसर पर मुकेशमुनि, हरीशमुनि, सचिनमुनि, अखिलेशमुनि ने भी अपने प्रवचनों से लाभान्वित किया।इस अवसर पर गुरूश्री रूपसुकन चातुर्मास व्यवस्था समिति के *चेयरमैन मोहनलाल गढवाणी,माणकराज डागा, तख्तराज लोढा, प्रदीप डागा, लूणकरण जैन,अशोक बंब* आदि ने प्रवचन सभा मे जीवदया के लिए गुरूजनों के समक्ष दान करने वालों एवं तपस्या करने वालों का बहुमान किया।जैतारण पावनधाम मे गुरूभक्तो का मुनिवंदो के दर्शनों के लिए लोगों का तांता लग रहा है।...9413063300
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