
जैतारण,(आईबीखांन)।
जैतारण स्थित श्री मरूधरकेसरी पावनधाम मे चातुर्मास कर रहे जैन संत प्रवर्तक सुकनमुनि ने शनिवार को मरूधरकेसरी सभागार मे अपने प्रवचनों मे कहा कि अहिंसा के लिए संतुलित व्यक्तित्व होना जरुरी है जो हिंसा के वातावरण को सुलझाने के लिए उर्वरा का कार्य कर सकता है।हिंसक शक्ति पर नियंत्रण संकल्प शक्ति के विकास से ही किया जा सकता है।उन्होंने कहा की जहां हिंसा का वातावरण रहता वहां न तो शांति आती और न ही वहां कोई खुशहाल होता।उन्होंने कहा की जीवन मे शांति प्राप्त करने के लिए पहले स्वयं को अहिंसा के पथ पर अग्रसर होकर दूसरों को भी इस पर चलने की प्रेरणा देनी चाहिए।
उपप्रवर्तक अमृतमुनि महाराज ने कहा कि अहिंसा शास्वत धर्म है,जब जब मानव समाज पर खतरे के बादल मंडराते है तब तब भयभीत दशा मे अहिंसा की याद आती है।ऐसे संकटकालीन स्थिति से उबरने के लिए अहिंसा ही एक सहारा होता है।उन्होंने कहा कि जिस दिन लोगों को अहिंसा का महत्व समझ मे आ जाएगा, उस दिन हिंसा से छुटकारा मिल जाएगा।युवा महेशमुनि ने कहा कि देश में शांति एवं आपस मे प्रेमभाव से रहने के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाने की जरुरत है।उन्होंने कहा की भगवान महावीर ने हमें जीवदया के साथ अहिंसा की राह दिखाई, लेकिन आज कितने लोग इस राह पर चल रहे है,इस पर आत्मचिंतन करना चाहिए।उन्होंने कहा की लडाई झगड़ा करना ही हिंसा नहीं, बल्कि किसी की आत्मा को ठेस पहुचाना भी हिंसा के सम्मान है।मुकेशमुनि ने कहा भगवान महावीर की जिनवाणी सच्ची वाणी है।उन्होंने कहा भगवान महावीर ने जो राह हमें दिखाई सदैव व्यक्ति को उसी राह पर चलकर अपने जीवन को सफल बनाया चाहिए।इस अवसर पर हरीशमुनि, सचिनमुनि, अखिलेशमुनि, डाँ.वरूणमुनि ने भी अपने प्रवचन देकर उपस्थित श्रावक एवं श्राविकाओं को धर्म ध्यान करने का आव्हान किया।इस अवसर पर ब्यावर निवासी श्रीमती शुरभि पत्नी शुयंश तातेड की मास खम्मण तथा ब्यावर निवासी श्रीमती आयुषि पत्नी हिमांशु तातेड के आठ उपवास के तप का गुरूश्री सुकनमुनि महाराज व्दारा प्रच्खायान करवाया गया।प्रवचन सभा मे इन दोनों का गुरूश्री रूपसुकन चातुर्मास व्यवस्था समिति के चैयरमैन मोहनलाल गढवाणी, माणकराज डागा, तख्तराज लोढा, प्रदीप डागा, लूणकरण जैन,महावीर लोढा आदि ने बहुमान किया।वहीं जीवदया के लिए दान करने वाले भामाशाहों का बहुमान किया गया।
(9413063300)
Post a Comment