
जैतारण(आईबीखांन)।
श्री मरूधरकेसरी पावनधाम मे चातुर्मास कर रहे जैन संत प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने सोमवार को मरूधरकेसरी सभागार मे प्रवचन करते कहा की आत्मा के कल्याण के लिए मानव को अपने जीवन मे हमेशा ही दान करते रहने के भाव रखने चाहिए।उन्होंने कहा की व्यक्ति को जितनी चाह लेने की होती है,उतनी चाह वापस देने की भी होनी चाहिए।उन्होंने कहा की अपनी मेहनत की गाढी कमाई से व्यक्ति को यथासंभव दान करना चाहिए।उन्होंने कहा की भूखे व्यक्ति को भोजन करवाने से उस व्यक्ति की भूख शांत तो होती है,बल्कि उसकी आत्मा से निकलने वाली आवाज भोजन करवाने वाले को आशीर्वाद देती है।उन्होंने कहा की व्यक्ति दुनिया मे रहकर भले धन दौलत अर्जित करता है,लेकिन सत्य यह है की मृत्यु के बाद कोई भी उसे साथ नहीं ले जा सकता है।यदि जीवन मे अच्छे कार्य किये है तो वो कार्य साथ चलते है।
उपप्रवर्तक अमृतमुनि महाराज ने कहा कि प्रत्येक परिवार मे शांति का वातावरण सुसंस्कृत बनाने के लिए संयुक्त परिवार मे रहना चाहिए लेकिन आज के भौतिकता के इस दौर मे संयुक्त परिवार का तेजी से विघटन होता जा रहा है।इस भौतिकतावादी युग को सामाजिक व्यवस्था मे हर परिवार अपने नैतिक मूल्यों को खोता जा रहा है और रिश्ते-नाते भी लाभ-हानि की कसौटी पर होते जा रहे है।युवा मुकेशमुनि ने कहा कि व्यक्तिगत इच्छाओं की अहवेलना करके त्याग और सेवाओं के बल पर ही परिवार की रक्षा की जा सकती है।घर आबरू की रक्षा के लिए अगर जीवन भी चला जाए तो भी परवाह नहीं करनी चाहिए।घर का कलंक लग जाए तो मिट नहीं सकता जबकि मृत्यु आने पर शरीर भी मिट जाता हैं।इस अवसर पर युवा महेशमुनि, हरीशमुनि, हितेशमुनि, सचिनमुनि, अखिलेशमुनि एवं डाँ. वरूणमुनि ने भी अपने प्रवचन दिये।इस अवसर पर गुरूश्री रूपसुकन चातुर्मास व्यवस्था समिति के चैयरमैन मोहनलाल गढवाणी, माणकराज डागा, तख्तराज लोढा, महावीर लोढा, लूणकरण जैन,प्रदीप डागा सहित चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों ने विभिन्न क्षेत्रों से गुरु दर्शन के लिए आए श्री जैन संघ के पदाधिकारियों का बहुमान किया गया।प्रवचन सभा मे बडी संख्या मे श्रावक एवं श्राविकाओं ने भाग लेकर गुरुवंदना की गई।9413063300
Post a Comment