क्रोध मे व्यक्ति को क्रोधित होने की बजाय चुप रहना चाहिए:सुकनमुनि
जैतारण,24 सितंबर(आईबीखांन)।
श्री मरूधरकेसरी पावनधाम मे चातुर्मास कर रहे जैन संत प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने सोमवार को अपने चातुर्मास प्रवचन सभा मे कहा कि व्यक्ति को जब भी क्रोध आता है तो उस समय संयम रखकर चुप रहना चाहिए।तनिक समय का क्रोध व्यक्ति की बुध्दि को भ्रमित कर देता है।उन्होंने कहा कि क्रोध आने पर बेहतर यही है की वो संयम के साथ ईश्वर का स्मरण करे।उन्होंने कहा कि कडवी बात का मीठा देना, क्रोध के समय चुप रहना और अपराधी को सजा देते समय हदय को कोमल रखना।ऐसा गुणवान व्यक्ति विपत्तियों मे भी स्वयं को बचा लेता है।
उपप्रवर्तक अमृतमुनि महाराज ने कहा कि मनुष्य में विनम्रता से ज्ञान थाह देखा जा सकता है।उन्होंने कहा कि सत्य के प्रभाव से सभी मंत्र,योग, धर्म, अर्थ और काम सिध्द हो जाते है।सारे रोग व शोक भी नष्ट हो जाते है।युवा महेशमुनि ने कहा कि भक्ति का मार्ग मे सिर्फ प्रेम की महिमा है।वहां चाह या अचाह का कोई स्थान नहीं है।बिना विश्वास के प्रेम नहीं होता, बिना प्रेम के शांति के इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रहता।इस अवसर पर राकेशमुनि, हरीशमुनि, अखिलेशमुनि एवं डाँ.वरूणमुनि ने भी अपने प्रवचन दिये।प्रवचन सभा मे जीवदया के लिए दान करने वाले गुरूभक्तो का चातुर्मास आयोजन समिति के चैयरमैन गुरूभक्त,दानवीर-भामाशाह मोहनलाल गढवाणी, संचालन सुरदर्शन छल्लाणी,माणकराज डागा आदि व्दारा बहुमान किया गया।
फोटो कैप्शन:24जे.टी.एन.1
जैतारण पावनधाम मे प्रवचन देते जैन संत सुकनमुनि आदि संत
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